काश....
की वो समझ पातें.
मैं तो उन्हें एक नजर देखने,
बाँहों में लेकर माथे को चूमने के लिए बस,
खुद को बनावटी बनाकर,
किस कदर 'बहुरुपिया' बने फिर रहा हूँ.
काश,
की वो समझ पातें,
दुयाएँ तो मैं भी मांगता हूँ उनके लिए,
जो मुझे बताने नहीं आता,
इस कदर बसतें हैं वो मुझमे,
जो मुझे जताने नहीं आता.
काश,
की वो समझ पातें
जिंदगी जीना सिख लेने का जो दंभ है मेरा,
यह तो बस 'अनुसरण' है उनका,
की जिसके लिए कभी वो कोई,
ऐतराज जता पाते.
काश,
की हालात और परिवेश देखकर,
अपने मिजाज बदल लेने के बजाय,
मुझे लेकर भी एक 'सोच' बना पाते.
काश, ...........................
--नारो
१२-०६-11