जहाँ हमने देखि है खुद को बढ़ते हुए,
पग -पग लेकर पैर को मिट्टी से धो लेने दो
यादें कर लेने दो ताज़ा ,
इन गलियों में कुछ पल जी लेने दो.
जैसे बतियाना चाह रही,
मुझसे इनकी दीवारें
फुस्स -फुस्साकर, हलकी धीमी आवाज में,
रुको थोड़ा गुफ्तगू कर लेने दो
इन गलियों में कुछ पल जी लेने दो.
जलती -बुझती सूरज की किरणें,
शीत मौसम में भी धुल के झोंके,
जैसे माँग रही हो मुझसे,
लम्बी अनुपस्थिति का हिसाब,
माफ़ी माँग लेने दो,
फिर से आने का पक्का वादा कर लेने दो,
इन गलियों में कुछ पल जी लेने दो.
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